lingashtakam – लिंगाष्टकम lyrics Details :-
लिंगास्तक एक प्राचीन धार्मिक उपाय है जो भारतीय धर्मशास्त्र में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह उपाय विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृतियों में महत्वपूर्ण माना जाता है और शिव की पूजा में उपयोग किया जाता है।
लिंगास्तक में पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के प्रतीक होते हैं, जिन्हें शिव के सम्मान में पूजा जाता है। इसमें धार्मिक संदेश और आध्यात्मिक महत्व होता है।
लिंगास्तक का मूल उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, मन की शांति, और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति है। यह प्राचीन उपाय आत्मीय और परिवारिक समृद्धि के लिए भी प्रसिद्ध है।
लिंगास्तक के प्रमुख अंग आधार शिवलिंग और शिवलिंग की पूजा है, जो शिव भक्ति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके अलावा, लिंगास्तक के पूजन में विभिन्न तरह के धार्मिक अनुष्ठान और ध्यान किए जाते हैं।
lingashtakam – लिंगाष्टकम lyrics in hindi
ब्रह्म मुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मल भासित शोभित लिंगं
जन्मजदुःख विनाशक लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (1)
जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले सर्वेश्वर है। जो ब्रह्मा, विष्णु और सभी सुरगणो के इष्टदेव हैं, और जो लिंग के रूप में चराचर जगत में स्थापित हुए हैं, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है ऐसे भगवान आशुतोष को नित्य निरंतर प्रणाम है |
देव मुनि प्रवरार्चित लिंगं
काम दहन करुणाकर लिंगं
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (2)
भगवान शिव जो मुनियों और देवताओं के परम आराध्य देव हैं, तथा देवो और मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं, जो कामदेव का विनाश करते हैं, जो दया और करुना के सागर है तथा जिन्होंने लंकापति रावन के अहंकार का मर्दन किया था, ऐसे परमपूज्य महादेव के लिंग रूप को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ |
सर्व सुगन्ध सुलेपित लिंगं
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगं
सिद्ध सुरासुर वन्दित लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (3)
लिंगमय स्वरूप जो सभी तरह के सुगन्धित इत्रों से लेपित है, और जो बुद्धि तथा आत्मज्ञान में वृद्धि का कारण है, शिवलिंग जो सिद्ध मुनियों और देवताओं और दानवों सभी के द्वारा पूजा जाता है, ऐसे अविनाशी लिंग स्वरुप को प्रणाम है |
कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगं
दक्षसु यज्ञ विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (4)
लिंगरुपी आशुतोष जो सोने तथा रत्नजडित आभूषणों से सुसज्जित है, जो चारों ओर से सर्पों से घिरे हुए है, तथा जिन्होंने प्रजापति दक्ष (माता सती के पिता) के यज्ञ का विध्वस किया था, ऐसे लिंगस्वरूप श्रीभोलेनाथ को बारम्बार प्रणाम |
कुंकुम चंन्दन लेपित लिंगं
पङ्कजहार सुशोभित लिंगं
सञ्चित पाप विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (5)
देवों के देव जिनका लिंगस्वरुप कुंकुम और चन्दन से सुलेपित है और कमल के सुंदर हार से शोभायमान है, तथा जो संचित पापकर्म का लेखा-जोखा मिटने में सक्षम है, ऐसे आदि-अन्नत भगवान शिव के लिंगस्वरूप को मैं नमन करता हूँ |
देव गणार्चित सेवित लिंगं
भावैर्भक्ति भिरेव च लिंगं
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (6)
जो सभी देवताओं तथा देवगणों द्वारा पूर्ण श्रृद्धा एवं भक्ति भाव से परिपूर्ण तथा पूजित है, जो हजारों सूर्य के समान तेजस्वी है, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को प्रणाम है |
अष्ट दलो परिवेष्टित लिंगं
सर्व समुद्भव कारण लिंगं
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (7)
जो पुष्प के आठ दलों (कलियाँ) के मध्य में विराजमान है, जो सृष्टि में सभी घटनाओं (उचित-अनुचित) के रचियता हैं, और जो आठों प्रकार की दरिद्रता का हरण करने वाले ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूँ |
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगं
परात्परं परमात्मक लिंगं
तत्प्रणमामि सदा शिव लिंगं (8)
जो देवताओं के गुरुजनों तथा सर्वश्रेष्ठ देवों द्वारा पूजनीय है, और जिनकी पूजा दिव्य-उद्यानों के पुष्पों से कि जाती है, तथा जो परमब्रह्म है जिनका न आदि है और न ही अंत है ऐसे अनंत अविनाशी लिंगस्वरूप भगवान भोलेनाथ को मैं सदैव अपने ह्रदय में स्थित कर प्रणाम करता हूँ |
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठे शिव सन्निधौ
शिवलोक मवाप्नोति शिवेन सह मोदते
जो कोई भी इस लिंगाष्टकम को शिव या शिवलिंग के समीप श्रृद्धा सहित पाठ करेगा उसको शिवलोक प्राप्त होता है तथा भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है |
lingashtakam – लिंगाष्टकम लाभ :-
आत्मा और मन की शांति: लिंगास्तक की पूजा और ध्यान से मन और आत्मा में शांति की अनुभूति होती है।
धन की वृद्धि: लिंगास्तक की पूजा से धन की वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
स्वास्थ्य लाभ: लिंगास्तक की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
परिवार की सुख-शांति: लिंगास्तक की पूजा से परिवार के सभी सदस्यों के बीच सुख-शांति बनी रहती है।
भय का नाश: लिंगास्तक की पूजा से भय का नाश होता है और व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।