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Karoly takacs Motivation story – केरोली टाकक्स प्रेरणात्मक कहानी

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दोस्तों आज हम बात करने वाले है “Karoly takacs Motivation story” की जीवनी के बारे में | कई बार हमारी जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो हमारा पूरा नजरिया बदल देती हैं। हम शिखर पर होते हैं और अचानक वह जमीन हमारे पैरों के नीचे से खिसक जाती है। ऐसे में वही लोग विजेता बनकर निकलते हैं जो संयम से काम लेते हैं। वह उसका शोक नहीं मनाते जो खो गया है। बल्कि वह जो बचा है उसके साथ आगे की तैयारी में लग जाते हैं।

REAL MOTIVATIONAL STORY OF KAROLY TAKACS

ये कहानी है एक शूटर की जिसने अपनी मेहनत और जूनून के सहारे किस्मत को भी हरा दिया. बात हे 1938 की KAROLY TAKACS(करौली). जो हंगरी की आर्मी में एक पिस्तौल शूटर था केरोली उस समय दुनिया के सबसे उम्दा शूटरों में से एक थे। हंगरी ही नहीं पूरी दुनिया को 1940 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में उनके गोल्ड जीतने की उम्मीद थी।

मगर ओलंपिक्स से कुछ मास पहले एक हादसे में केरोली के सीधे हाथ में हैंड ग्रेनेड फट गया। और उस हादसे में घायल केरोली एक महीने के लिए अस्पताल में भर्ती रहे और उनके सामने उनका ओलंपिक गोल्ड जीतने का सपना धीरे-धीरे दम तोड़ रहा था। पूरा खेल जगत इस घटना से स्तब्ध था। डॉक्टर्स ने कहा अब वो पिस्तौल शूटिंग नही कर सकता।

सभी को लगा कि अब केरोली का ओलंपिक सफर खत्म हो गया है। मगर केरोली के जानने वालों के आश्वर्य का उस समय ठिकाना नहीं रहा, जब उन्होंने केरोली को बाएं हाथ से शूटिंग की प्रैक्टिस करते देखा।केरोली ने जो खो गया है उस पर अफसोस करने की बजाय, उसे मजबूत करने पर ध्यान दिया जो उनके पास , अब भी मौजूद था।

जब 1939 में केरोली हंगरी के नेशनल पिस्टल शूटिंग चैंपियनशिप में पहुंचे तो दूसरे शूटर्स को लगा कि वह मुकाबला देखने आए हैं। मगर जब उन्होंने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और उसमें जीत हासिल की तो सभी को यह देखकर बेहद आश्चर्य हुआ।2 सालो में अपने लेफ्ट हैंड को इस लायक बना लिया की वो आने वाले ओलंपिक में भाग ले सके।

अब 1940 और 1944 में होने वाले ओलंपिक मुकाबले दूसरे विश्व युद्ध के कारण रद्द हो गए था। मगर केरोली ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा और 1948 में लंदन में हुए ओलंपिक खेलों में 38 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

करौली का सपना पूरा हो गया पर वो अब भी नही रुका और 1952 में भी ओलम्पिक में हिस्सा लिया और एक बार फिर karoly takacs ने गोल्ड मेडल जीता ।इसी के साथ लगातार 2 बार गोल्ड मेडल जितने वाला पहला एथलीट बन गया।

केरोली के पास अपनी तकलीफ पर शोक मनाने की सभी वजहें थीं, मगर उन्होंने साहस बटोरी और आगे बढ़ने का विकल्प चुना। इससे वह न सिर्फ अपने दुख से उबर सके, बल्कि दूसरों के लिए मिसाल बन गए।

दोस्तों हारने वालो के पास कई हज़ार बहाने होते है लेकिन जीतने वाले के पास बस एक वजह होती है जो उसे जीत दिलवाती है। आप अगर कुछ ठान लो तो वो होना ही होना है फिर दुनिया की कोई भी शक्ति आपको उस काम को करने से नही रोक सकती

Károly Takács Information in Hindi:
नामकरौली टकेक्स
जन्म21 जनवरी 1910 (65 वर्ष)
जन्म स्थानबुडापेस्ट, ऑस्ट्रिया-हंगरी
मृत्यु5 जनवरी 1976
खेलशूटिंग
Olympic Games1948 लंदन, 1952 हेलसिंकी

निष्कर्ष
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